Friday 26 May 2017

मित्रता के आधार

समता निश्छलता और वत्सलता,
हैं मित्रता क आधार 
वे भाई तो नहीं होते, 
भाई से बढ़कर होता है उनका प्यार। 
             निश्छल प्रेमी जन ही मित्र बन पाते हैं, 
             निष्ठावान होकर वे उसे निभाते हैं। 
             जब सारे रिश्ते हो जाते है बेकार, 
             काम आता है यार....................... वे भाई........।. 
भाव श्रेष्ठता का जब दोस्ती में आ जाता है,  
बढ़ जाती है प्रतिद्द्न्दता प्यार कम हो जाता है। 
दोस्त दोस्त नहीं रह जाते, 
आती है दोस्ती में दरार....................... वे भाई........।. 
             कुछ लोग बदनाम यारी को करते हैं, 
             हथिया लेते हैं धन सम्पत्ति रमण पत्नी संग करते हैं। 
             वे नहीं रह जाते हैं सौमित्र, 
             मित्र की अस्मिता पर करते हैं वार....................... वे भाई........।. 
बड़े भाग्य से सच्चा यार मिलता है, 
जिसकी किस्मत अच्छी हो सच्चा प्यार मिलता है। 
यारी है ईश्वर की नेमत, 
मानव जीवन का पुरस्कार....................... वे भाई........।.

जयन्ती प्रसाद शर्मा  


Saturday 13 May 2017

माँ ममता का भण्डार

माँ जीवन का आधार,
माँ ममता का भण्डार।
नहीं माँ जैसा कोई उदार, 
कैसा भी हो बच्चा करती प्यार। 
माँ सुख बच्चों को देती, 
बलायें उसकी ले लेती। 
नहीं माँ की ममता का मोल, 
नहीं उसके स्नेह का तोल।
माँ कष्ट में बच्चे को पाती, 
भूख प्यास उसकी उड़ जाती। 
नहीं माँ की करुणा का अन्त,
उॠण  नहीं होओगे मृत्यु पर्यन्त। 
नहीं करो अवहेलना जन्म प्रदाता की, 
रहो पूजते माँ को बोलते जय माता की।

जयन्ती प्रसाद शर्मा   

चित्र गूगल से साभार 

Friday 5 May 2017

अफसाना मौत का

जिया जाता नहीं मरा जाता नहीं,
अफसाना मौत का कहा जाता नहीं। 
सोचा था मौत तो हमराह है, 
चाहेंगे जब आ जायेगी। 
नहीं बनेगी बेवफा,
नहीं महबूब सी तड़पायेगी।
दिल घबड़ा उठा सांसें लगी डूबने,
लगता है अब मौत आयेगी।
ले जायेगी हम को साथ अपने,
सभी दुश्वारियों से बचायेगी।
नाते रिश्ते वाले सब आ गये हैं, 
सामान भी तैयार है। 
रुदालियाँ भी आ गई हैं, 
रुदन को तैयार हैं। 
जो था मेरा वह हुआ तुम्हारा, 
तुमको सब अधिकार है। 
चाहे बिगाड़ो चाहे सँवारो,
तुमको सब अख्त्यार है। 

जयन्ती प्रसाद शर्मा