Thursday 24 November 2016

पथिक

पथिक तुम कौन देश से आये।
रहे घूमते यों  ही निष्फल–
या कोई मंजिल पाये..........................................पथिक ..... ।
           ठहरो पलभर लो विश्राम ,
           थकित पगों को दो विराम।
           कहो हमें मन्तव्य तुम्हारा ,
           बतलाओ गन्तव्य तुम्हारा 
भूल गये तुम अपनी मंजिल या पथ विसराये........पथिक ..... ।
           हो अवधूत या तुम यायावर,
           अथवा किसी देश के गुप्तचर।
           बने हुये हो तुम घुमन्तु,
           किसी धर्म प्रचार में हो कर तत्पर।
शान्ति दूत हो किसी देश के सद्दभावना मिशन पर आये.......पथिक ...।  
           दूत नहीं अवधूत नहीं,
           नहीं यायावर नहीं गुप्तचर।
           मैं हूँ वासी  इसी देश का,
           निःसंदेह हे बंधु प्रवर।
देख दुर्दशा प्यारे भारत की घूम रहा अकुलाये........पथिक ..... ।
           राजनीति में हो गई अनीति,
           घुस बैठा परिवार वाद ।
           बढ़ गया भ्रष्टाचार देश में,
           फल-फूल रहा आतंकवाद ।
कोई आये इन भूले-भटकों को कर्तव्यों का बोध कराये........पथिक ..... ।

जयन्ती प्रसाद शर्मा 

Friday 11 November 2016

सरकारी उलटबांसी

सरकारी आदेशानुसार,
मुखिया के तौर पर लिखा जायेगा धनियाँ का नाम।
अब धनियाँ होगी शीर्ष पर और रामू खिसक कर,
नीचे आ जायेगा।
मैं नहीं समझता इससे कुछ फर्क पड़ेगा,
रामू चाहे ऊपर रहे या नीचे।
राशन की लाइन में लगने को रामू तो जाने से रहा, 
जायेगी धनियाँ ही।
चाकू ऊपर रहे या नीचे-
कटेगा खरबूजा ही।

जयन्ती प्रसाद शर्मा        

Friday 4 November 2016

मेरे दिल में बहुत दर्द है

मेरे दिल में बहुत दर्द है!
            यह दर्द है लोगों के मानवता भुलाने का,
            नहीं दुख में किसी के काम आने का।
            अपनी स्वार्थ परता के लिये नहीं लाना खयाल,
            किसी के दिल ना दुखाने का। 
मुझे लगती है ठेस उनसे,
जो इंसानियत का भुलाये बैठे फर्ज हैं.............. मेरे दिल में........।
            वरिष्ठों का सम्मान जो करते नहीं,
            माँ-बाप के अपमान से डरते नहीं। 
            मातृ शक्ति को जो कर देते हैं शर्मसार,
            उससे दुष्कर्म करने में शर्म करते नहीं। 
जिनके मातृत्व पितृत्व पर हो रहे विवाद,
उनके संतति संस्कृति का बड़ा ही करती हर्ज है.....मेरे दिल में.........।
            लोग शहीदों की शहादत विसराये बैठे हैं,
            गाँधी, नेहरु, सुभाष, भगत सिंह को भुलाये बैठे हैं। 
            देश में उच्च पदस्थ लोग,
            लूटने खसोटने की आदत बनाये बैठे हैं। 
बढ़ गया भ्रष्टाचार देश में,
कर रहे कर्णधार ही बेड़ा गर्क हैं.............. मेरे दिल में.................।
            ‘हम आजाद हैं’ की उन्मुक्तता में लोग मनमानी कर रहे हैं,
             रख ‘ला एंड आर्डर’ जेब में राहजनी, चोरी, छिनैती कर रहे हैं।
             बाह्य व आंतरिक अतिवादी,
             जनमानस को त्रस्त कर रहे हैं।
अपना ही रक्त भ्रष्टाचारी अति-वादियों का,
बना हुआ हमदर्द है.............. मेरे दिल में...................।

जयन्ती प्रसाद शर्मा