Friday 30 September 2016

अफसाना शेख चिल्ली का

याद आता है अफसाना,
शेख चिल्ली का। 
खम्बा नौंचना, 
खिसियाई बिल्ली का। 
नतीजा अपनी पिछली, 
हिमाकत का देख।
पूर्व (ना) पाक है अब,
सोनार बांग्लादेश। 
ना डाल नापाक नजर,
कश्मीर-जम्मू में। 
टूटेगा गरूर जलेगा घर, 
लगेगी आग तम्बू में। 
देते हैं हिदायत, 
जा चीन या बिलायत। 
लेना पड़ेगा सहारा तुझे, 
सदा नई दिल्ली का। 
याद आता है अफसाना,
शेख चिल्ली का। 

जयन्ती प्रसाद शर्मा 

Friday 23 September 2016

वे शायर बड़े मशहूर थे

वे शायर बड़े मशहूर थे,
पर बहुत मगरूर थे।
थे इंसानियत के पक्षधर,
मगर उससे बहुत ही दूर थे।
एक दिन बैठे थे ऊबे हुये,
कुछ नशे में डूबे हुये।
अचानक जाग उठी उनकी संवेदना,
करने लगे आंगन में खड़े कुत्ते की अभ्यर्थना।
किये स्पर्श उसके चरण,
पिताजी आपके बिना मेरा था मरण।
आपके पुण्य प्रताप से-
मेरा उदभव हो सका है।
कुछ अधिक ही उनको सुरूर चढ़ गया था,
पास बैठे पिता को देखकर-
उनका मूड उखड गया था।
बोले, ‘ कुत्ते अपनी औकात भुला बैठा है’ ,
जो इस तरह सहन में आ बैठा है।
उन्होंने पकड़ा उनका हाथ,
खींच कर ले चले अपने साथ।
बाहर टंगे कुत्ते के पट्टे को,
उनके गले में डाल दिया-
और एक सूखी रोटी का टुकड़ा-
उनके आगे डाल दिया।

जयन्ती प्रसाद शर्मा

Tuesday 13 September 2016

हिन्दी दिवस

आओ हिन्दी दिवस मनायें,
हिन्दी का वर्चस्व बढायें। 
हिन्दी में है माधुर्य,
हिन्दी में लालित्य। 
हिन्दी में ग्रंथों की मीमांसा,
उसमे विपुल साहित्य। 
चाहे तेलगू हो चाहे हो कन्नड़,
चाहे मलयालम भाषी।
चाहे हो बंगाली या पंजाबी,
सबको है हिन्दी आती।
संस्कृत है भाषाओँ की जननी, 
सब भाषाओँ में बह्नाता है।
सब भाषाओँ में है समन्वय,
सब ने ही अपनाया है।
सबने स्वीकारी हिन्दी,
विश्व भाषाओँ में स्थान दिया।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी हिन्दी को,
अधिकारिक भाषा का मान दिया।
विश्व हिन्दी दिवस की बेला पर,
चारण बन जाऊँगा।
हिन्दी का यशगान करूँगा,
हिन्दी के गुण गाऊंगा।
आओ हम सब जय घोष करें,
जय हिन्दी जय हिन्दुस्तान।
हिन्दी जग में हो प्रतिष्ठित,
विश्व नेतृत्व करे भारत महान।

जयन्ती प्रसाद शर्मा

चित्र गूगल से साभार  


Thursday 8 September 2016

तुम्हें देखना है

सुकवि कोई पहचाना नहीं जाये-
कोई बात नहीं,
चारण का अभिनन्दन हो नहीं जाये-
तुम्हें देखना है।

साधु कोई पूजा नहीं जाये-
कोई बात नहीं,
असाधु का वंदन हो न जाये-
तुम्हें देखना है।

संतों का समागम हो नहीं पाये-
कोई बात नहीं,
दुष्टों का गठबंधन हो नहीं जाये-  
तुम्हें देखना है।

देश भक्त सराहा नहीं जाये- 
कोई बात नहीं,
देशद्रोह को चन्दन लग नहीं जाये-
तुम्हें देखना है।

जयन्ती प्रसाद शर्मा