Wednesday 30 December 2015

नव वर्ष की शुभकामनायें

बंधुवर लीजिये नव वर्ष की-
शुभकामनायें।
भूलकर विगत दुश्वारियाँ,
आगे बढ़ते जायें।

आप चढ़ते जायें उन्नति के सोपान,
पायें समाज में उच्च सम्मान।
बढ़ती जाये शान आपकी,
गले में पढ़ती रहें पुष्पमालायें.................. बंधुवर........... ।

आप रहें सर्वदा सुखी मनायें रोज दिवाली,
भरे रहें भण्डार कभी न हों खाली।
सरसें जीवन में रंग,
आप सतरंगी हो जायें............................ बंधुवर........... ।

आपके स्वर्णिम हों दिन और रुपहली रातें,
होयें विरोधी पस्त न कर सकें वे घातें।
आपके प्रति उनकी-
मिट जायें दुर्भावनायें.................. बंधुवर........... ।

हर खुशी आपको उपलब्ध होती रहे,
खुशियों की बरसात होती रहे।
नहीं होवे आपको कोई अभाव,
प्रगति की बनी रहे सम्भावनायें.................. बंधुवर........... ।

जयन्ती प्रसाद शर्मा 



   

Wednesday 23 December 2015

जो हम तुमसे मिल पाते

जो हम तुमसे मिल पाते,
तेरी राम कहानी सुनते-
कुछ हम अपनी व्यथा सुनाते...........जो हम.............।
मत पूछो कैसे बीते दिन,
नहीँ चैन था मन में पल छिन
आशाओं के दीप जलाकर,
रैन बिताती मैं तारे गिन
मधुर मिलन के बीते पल,
यादों में आकर मुझे जलाते...........जो हम.............।
मैं तेरी तुम मेरे हो,
जीवनाधार तुम मेरे हो
चित्रित कर दी छवि अपनी मेरे मन-
तुम बहुत ही कुशल चितेरे हो
मेरे ह्रदय पटल पर चित्र तुम्हारा,
मिटता नहीं मिटाते...........जो हम.............।
अब विरह सहा नहीं जाता है,
मन धीरज नहीं पाता है
कैसे तुन बिन जियूं जिन्दगी-
मुझे समझ नहीं आता है
चैन मुझे मिल जाता प्रियतम-
पड़े फफोले विरहानल से-
जो तुम सहला जाते...........जो हम.............।

जयन्ती प्रसाद शर्मा           
            

Tuesday 8 December 2015

समय मुसाफिर

समय मुसाफिर अपनी गति से चलता जाता है,
नहीं ठहरता पलभर निरन्तर बढता जाता है।
      जो नहीं चल पाता साथ समय के,
      पीछे रह जाता है।
      हो जाता है कालातीत,
      अपयश जग में पाता है।
गया वक्त नहीं आता लौटकर,
समय निकल जाने पर पछताता है.............समय मुसाफिर........।
      समय नहीं करता किसी का इन्तजार,
      कम नहीं करता अपनी रफ्तार।
      नहीं किसी से करता नफरत,
      नहीं किसी से अतिशय प्यार।
नहीं किसी को गले लगाता,
नहीं किसी को ठुकराता है.............समय मुसाफिर..........।
       वक्त की है हर शै गुलाम,
       अच्छे वक्त में ही इन्सान पाता है मुकाम।
       बुरे समय में गिर जाते हैं सब,
       नहीं कोई चतुराई आती है काम।
जो जानता है नब्ज वक्त की,
वही खड़ा रह पाता है.............समय मुसाफिर........... ।
       चाल समय की तुम जानो,
       नहीं उसे अपना मानो।
       दूर दृष्टि अपनाओ तुम,
       अनुकूलता समय की पहचानो।
समय की चाल समझने वाला ही,
लाभ समय का ले पाता है.............समय मुसाफिर........... ।

जयन्ती प्रसाद शर्मा