Wednesday 2 September 2015

जब ख़याल तुम्हारा दिल में आता है,

जब खयाल तुम्हारा दिल में आता है,
पता नहीं मुझको क्या हो जाता है।
दिल करता है आसमान में उड़ जाऊँ,
चाँद सितारे तोड़ जमीन पर ले आऊँ।
जतन से जड़ दूँ उनको तेरे आँचल में,
फूल चमन के सारे चुनकर–
बिखरा दूँ तेरे आँगन में।
तेरा चमकना, तेरा गमकना मुझको भाता है ..........जब ख़याल...........।
इन्द्रधनुष के रंग चुरा कर तेरे जीवन में भर दूँ,
तेरी श्यामल काया को मैं सतरंगी कर दूँ।
तेरे संपुट ओठों को अपने ह्रदय रक्त से रंग दूँ,
तेरे रक्तिम अधरों को मैं और लाल कर दूँ।
तेरे आगे मेरे मन में नहीं कोई टिक पाता है..........जब ख़याल..............।
तेरे उलझे बालों में उलझ गया मेरा जीवन,
तेरे नयन कटारों से घायल हुआ मेरा तनमन ।
कौन घड़ी में नयना तुमसे टकराये,
नहीं रात को नींद चैन दिन में आये।
उठती रहती है टीस जिगर में दिल मेरा घबराता है............जब ख़याल.....।
करूँ कौन जतन तुमको पाऊँ,
मैं कुछ सोच नही पाऊँ।
ओ कमल नयन ओ चंद्रमुखी,
तू कर नहीं मुझको और दुखी।
क्या नहीं समझती दुखियों की आह से सब जल जाता है..........जब ख़याल ....।

जयन्ती प्रसाद शर्मा 



चित्र गूगल से साभार